Wednesday, April 18, 2012

एक पागल लड़की.....

तुम आती हो हर रोज  मेरे सपनो और कुछ गुनगुना के चले जाती हो, जब सपना टूट ता है तोह बस तुम्हारी के तस्बीर नज़र आता है यह मेरे नयन मे, फिर सोचता हु की हर बात भूल जाऊ जो तुमने गुनगुनाये थे सपनो पर यह दिल मानता ही नहीं कियो तुम जो हो इतनी कुभसूरत,यह दिल भी कहने मे जुट जाती है की कैसे तुम भूल सकोगे उस पागल लड़की जो है एक पारी की तरह! फिर दिल ही दिल से बात होती है ओह पागल लड़की की कुभ्सुर्ती की उप्पर बाले ने बयाना है यह पारी जो हर रोज आती है सपनो बस तुम्हरे लिया! बस दिल फिर से बोल बैठता है की अब ओह पागल लड़की बिन मरना भी आधुरा लगता है! बस यह मेरा ख़वाब है उस पागल लड़की के लिया जो है एक पारी,जो कही न कही इंतजार मे राहे कट रही होगी!

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