Wednesday, July 20, 2011

तमन्ना


बस इतनी सी तमन्ना है , जब हसू तो तुम्हारा साथ हो
गिरे इन आँखों से आंशु , तो पोछने वाले तुम्हारे हाथ हो
अगर जो छूटी कभी साथ तो न जाने क्या मैं कर जाऊंगा
जिन्दा तो रहूँगा , पर शायद हसना और रोना भी भूल जाऊंगा
साथ सुख दुःख बाँटने की कल्पना से ही रोम रोम पुलकित हो गया है
जीवन के इस डगर पे पाके साथ तुम्हारा मन मेरा प्रफुल्लित हो गया हैं
साथ न छूटेगी कभी हमारा जब तक हैं साँस , तब तक हैं आश
बस , एक यही विस्वाश है , कैसे बताऊ की कैसा यह एहसा......By Sujit Kumar Thakur

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